Akshaya Tritiya 2024 अक्षय तृतीया 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस शुभ अवसर के महत्व :-
अक्षय तृतीय त्योहार को अक्ती या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दुओं व जैनियों का एक शुभ त्योहार है। यह त्योहार वैशाख महीनें के शुक्ल पक्ष के तीसरे तीन पड़ता है। इस त्योहार को भारत व नेपाल में हिन्दुओं व जैनियों द्वारा एक शुभ समय के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार जो भी कार्य इस दिन किये जाते है, उनका अक्षय फल मिलता है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीय कहा जाता है।
संस्कृत में ‘अक्षय’ का अर्थ आशा, समृद्धि, आनंद और सफलता होता है और ‘तृतीय’ का अर्थ तीसरा होता है। हर महीनें शुक्ल पक्ष में तृतीय आती है, परन्तु वैशाख के दौरान आने वाली शुक्ल पक्ष में तृतीय को शुभ माना जाता है। यह दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में विशेष महत्व रखता है। इसदिन कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते है – जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र, आभूषण, घर, जमीन और वाहन आदि खरीदना।
Akshaya Tritiya 2024 अक्षय तृतीया 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त :-
इस वर्ष, अक्षय तृतीया 10 मई को होगी और तृतीया तिथि 10 मई, 2024 को सुबह 02:47 बजे शुरू होगी और 11 मई, 2024 को सुबह 01:20 बजे समाप्त होगी। द्रिक पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त नीचे दिए गए हैं।
अक्षय तृतीया सोने की खरीद का समय-02:47 AM से 06:17 AM, 10 मई
अवधि-03 घंटे 30 मिनट
सुबह का मुहूर्त (शुभ, अमृता)-03:16 पूर्वाह्न से 06:17 पूर्वाह्न, 10 मई
अक्षय तृतीया सोने की खरीद का समय-06:17 AM से 01:20 AM, 11 मई
Akshaya Tritiya 2024 अक्षय तृतीया 2024 का महत्व :-
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी। यह भी ध्यान देने योग्य है कि भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम और अक्षय तृतीया की जयंती आमतौर पर उसी दिन या अक्षय तृतीया से एक दिन पहले पड़ती है। यह शुभ दिन सभी दुष्प्रभावों से मुक्त माना जाता है और लोग सोना खरीद सकते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना कभी कम नहीं होगा और बढ़ता या बढ़ता रहेगा।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया पिण्डदान अथवा किसी भी प्रकार के दान से अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से छुटाकर मिलता है। इसी दिन महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ था और द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था।
हिन्दू धर्म में गंगा स्नान का एक विशेष महत्त्व होता है और अक्षय तृतीय के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठाकर गंगा स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और जौ या गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल अर्पित करना चाहिए। ब्रह्ममाणों को भोजन आदि करना चाहिए और उनको दान आदि करना चाहिए।
Akshaya Tritiya 2024 अक्षय तृतीया 2024 पूजा अनुष्ठान :-
सुबह जल्दी स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
अपने परिवार के सदस्यों को इस विशेष दिन पर उपवास करने के लिए कहें।
स्नान करने के बाद गृहप्रवेश के शुभ समय में अपने घर को फूलों और तोरनों से सजाएं।
आप अपने घर के मुख्य द्वार पर भी रंगोली बना सकते हैं।
अब, दरवाजे के दोनों ओर कुछ दीपक रखें।
सजावट हो जाने के बाद, घर के उत्तर-पूर्वी कोने में पूजा करें।
पूजा चौकी पर अनाज के साथ नवग्रह करें। फिर वहाँ कलश स्थापित करें।
गृह प्रवेश के दौरान, पहले दरवाजे पर पूजा करें। द्वार पूजा के बाद, संरक्षकों, क्षेत्र और गाँव के देवताओं की पूजा करें।
फिर एक जोड़े को दाहिने पैर को आगे रखते हुए मुख्य प्रवेश द्वार से एक साथ घर में प्रवेश करना चाहिए।
उसके बाद अक्षय तृतीया पर रसोई में पूजा करें। चूल्हे पर दूध उबालें, खीर बनाएं और फिर सत्यनारायण कथा का वर्णन करें।
अक्षय तृतीय का महत्व व कुछ महत्वपुर्ण जानकारियाँ :-
- ब्रह्माजी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण।
- महाभारत का युद्ध इसी दिन समाप्त हुआ था और द्वापर युग भी इसी दिन समाप्त हुआ था।
- माँ अन्नपूर्णा का जन्म।
- चिरंजीवी महर्षी परशुराम का जन्म हुआ था इसीलिए आज परशुराम जन्मोत्सव भी हैं।
- कुबेर को खजाना मिला था।
- माँ गंगा का धरती अवतरण हुआ था।
- सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया।
- वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू किया था।
- प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
- प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट खोले जाते है।
- बृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन होते है।
- जगन्नाथ भगवान के सभी रथों को बनाना प्रारम्भ किया जाता है।
- आदि शंकराचार्य ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की थी।
- अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो!!!
- अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है कोई भी शुभ कार्य का प्रारम्भ किया जा सकता है।
- आज के दिन से उत्तराखंड के चार धाम यात्रा शुरू होती हैं। चार धाम हैं – यमनोत्री, गंगोत्री, बदरीनाथ और केदारनाथ।
|| ♥ धन्यवाद् ♥ ||
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