Aaj Ka Panchang: आज ’08 मई ‘ 2024 का शुभ मुहूर्त, पढ़ें दिशाशूल, तिथि और शुभ कार्य

Aaj Ka Panchang: आज 08 मई 2024 का शुभ मुहूर्त, पढ़ें दिशाशूल, तिथि और शुभ कार्य :-

~Aaj Ka Panchang वैदिक पंचांग ~

♣ आज का पंचांग ♣

♦ दिनांक – 08 मई 2024
♦ दिन – बुधवार
♦ विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)
♦ शक संवत -1946
♦ अयन – उत्तरायण
♦ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♦ मास – वैशाख (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार चैत्र)
♦ पक्ष – कृष्ण
♦ तिथि – अमावस्या सुबह 08:51 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
♦ नक्षत्र – भरणी दोपहर 01:33 तक तत्पश्चात कृत्तिका
♦ योग – सौभाग्य शाम 05:41 तक तत्पश्चात शोभन
♦ राहुकाल – दोपहर 12:35 से दोपहर 02:13 तक
♦ सूर्योदय-06:05
♦ सूर्यास्त- 19:05
♦ दिशाशूल – उत्तर दिशा में
♦ व्रत पर्व विवरण – वैशाख अमावस्या
♦ विशेष – अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

Aaj Ka Panchang अक्षय फलदायी “अक्षय तृतीया” :-

10 मई 2024 शुक्रवार को अक्षय तृतीया है ।

वैशाख शुक्ल तृतीया की महिमा मत्स्य, स्कंद, भविष्य, नारद पुराणों व महाभारत आदि ग्रंथो में है । इस दिन किये गये पुण्यकर्म अक्षय (जिसका क्षय न हो) व अनंत फलदायी होते हैं, अत: इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते है । यह सर्व सौभाग्यप्रद है ।

यह युगादि तिथि यानी सतयुग व त्रेतायुग की प्रारम्भ तिथि है । श्रीविष्णु का नर- नारायण, हयग्रीव और परशुरामजी के रूप में अवतरण व महाभारत युद्ध का अंत इसी तिथि को हुआ था ।

इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है । जैसे – विवाह, गृह – प्रवेश या वस्त्र -आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।

Aaj Ka Panchang प्रात:स्नान, पूजन, हवन का महत्त्व :-

इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है । गंगाजी का सुमिरन एवं जल में आवाहन करके ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते है । स्नान के पश्चात् प्रार्थना करें :

माधवे मेषगे भानौं मुरारे मधुसुदन ।
प्रात: स्नानेन में नाथ फलद: पापहा भव ॥

‘हे मुरारे ! हे मधुसुदन ! वैशाख मास में मेष के सूर्य में हे नाथ ! इस प्रात: स्नान से मुझे फल देनेवाले हो जाओ और पापों का नाश करों ।’
सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है । पुष्प, धूप-दीप, चंदनम अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी- नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है ।

Aaj Ka Panchang जप, उपवास व दान का महत्त्व :-

इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है । एक बार हल्का भोजन करके भी उपवास कर सकते है । ‘भविष्य पुराण’ में आता है कि इस दिन दिया गया दान अक्षय हो जाता है । इस दिन पानी के घड़े, पंखे, (खांड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ, वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है । परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।

Aaj Ka Panchang पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि :-

इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति- समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।

♦ विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।

Aaj Ka Panchang आशीर्वाद पाने का दिन :-

इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें । इसका फल भी अक्षय होता है।

Aaj Ka Panchang अक्षय तृतीया का तात्त्विक संदेश :-

‘अक्षय’ यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान है, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्म विवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टी रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्म प्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो।

Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-

मंगल रक्त को दर्शता है जन्म कुंडली में किसी पाप ग्रह के साथ मंगल की युति सप्तम भाव में हो या सूर्य सप्तम में और मंगल चतुर्थ स्थान में हो अथवा चतुर्थ भाव में राहू हो तो व्यक्ति कामुकता में अंध होकर पशु समान कार्य करता है।

राहू का अष्टम भाव में होना जातक का अवैध संबंध कराता है। तुला राशि में चार ग्रह एक साथ होने से जातक के परिवार में कलेश उत्पन्न करते है जिसके कारण जातक बाहर अवैध संबंध बनाता है। शनि का दशम भाव में होना जातक के मन में विरोधाभास उत्पन्न करता है। शुक्र और मंगल की युति जन्म कुंडली में कहीं पर भी हो एवं शनि दशम भाव में हो तो जातक ज्ञानवान भी होता है एवं काम वासना और अवैध संबंधों को गंभीरता से लेता है उसका मन स्थिर नहीं रह पाता, कभी ज्ञानी बन जाता है कभी अवैध संबंधों का दास।

बुध और शनि का संबंध सप्तम भाव से हो तो ऐसे जातक यौनक्रियाओं में नीरस एवं अयोग्य होते हैं। सूर्य का सप्तम भाव में होना जातक के वैवाहिक जीवन में कलेश उत्पन्न करता है, इससे परेशान होकर जातक अवैध संबंध बनाता है।

सप्तम भाव में राहू और शुक्र हो अथवा राहू और चन्द्रमा की युति हो तथा गुरु द्वादश भाव में स्थित हो तो विवाह पश्चात कार्यालयों में ही अवैध-संबंध बनते हैं। बुध और शनि की युति यदि द्वादश भाव में हो तो जातक शीघ्रपतन का रोगी बन जाता है और इसी योग में यदि लग्न, सप्तम और अष्टम भाव में राहू हो तो व्यक्ति अपनी जवानी को स्वयं नष्ट करता है एवं उसका जीवनसाथी किसी अन्य से शरीरिक तृप्ति लेता है।

लग्न में शनि का होना जातक को कामवासना अधिक देता है, पंचम भाव में शनि होने से अपने से बड़ी स्त्रियों के प्रति अवैध संबंध बनाने के लिए जातक को आकर्षित करता है। शनि का सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ होना और मंगल की दृष्टि पड़ने से जातक वेश्यागामी होता है इसी योग में अगर शुक्र का संबंध दृष्टि अथवा युति से बन जाए तो अवैध संबंध निश्चित हो जाता है।

चन्द्रमा जन्म कुंडली में कहीं पर भी नीच को होकर बैठा हो और उस पर पाप प्रभाव हो तो जातक अपने नौकर/नौकरानी से अवैध संबंध बनवाता है यहीं चन्द्रमा अगर दूषित होकर नवम भाव में स्थित हो तो जातक अपने गुरु अथवा अपने से बड़ों के साथ अवैध संबंध बनाता है। मंगल रक्त को दर्शता है जन्म कुंडली में किसी पाप ग्रह के साथ मंगल की युति सप्तम भाव में हो या सूर्य सप्तम में और मंगल चतुर्थ स्थान में हो अथवा चतुर्थ भाव में राहू हो तो व्यक्ति कामुकता में अंध होकर पशु समान कार्य करता है।

Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-

राहू का अष्टम भाव में होना जातक का अवैध संबंध कराता है। तुला राशि में चार ग्रह एक साथ होने से जातक के परिवार में कलेश उत्पन्न करते है जिसके कारण जातक बाहर अवैध संबंध बनाता है। शनि का दशम भाव में होना जातक के मन में विरोधाभास उत्पन्न करता है। शुक्र और मंगल की युति जन्म कुंडली में कहीं पर भी हो एवं शनि दशम भाव में हो तो जातक ज्ञानवान भी होता है एवं काम वासना और अवैध संबंधों को गंभीरता से लेता है उसका मन स्थिर नहीं रह पाता,

कभी ज्ञानी बन जाता है कभी अवैध संबंधों का दास। बुध और शनि का संबंध सप्तम भाव से हो तो ऐसे जातक यौनक्रियाओं में नीरस एवं अयोग्य होते हैं। सूर्य का सप्तम भाव में होना जातक के वैवाहिक जीवन में कलेश उत्पन्न करता है, इससे परेशान होकर जातक अवैध संबंध बनाता है।

सप्तम भाव में राहू और शुक्र हो अथवा राहू और चन्द्रमा की युति हो तथा गुरु द्वादश भाव में स्थित हो तो विवाह पश्चात कार्यालयों में ही अवैध-संबंध बनते हैं। बुध और शनि की युति यदि द्वादश भाव में हो तो जातक शीघ्रपतन का रोगी बन जाता है और इसी योग में यदि लग्न, सप्तम और अष्टम भाव में राहू हो तो व्यक्ति अपनी जवानी को स्वयं नष्ट करता है एवं उसका जीवनसाथी किसी अन्य से शरीरिक तृप्ति लेता है। मंगल जोश और शुक्र भोग एवं द्वादश भाव अवैध संबंध में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है यदि मंगल, शुक्र और द्वादश भाव का स्वामी का संबंध सप्तम भाव से हो तो व्यक्ति लंपट होता है एवं कई स्त्रियों से उसका अवैध संबंध होता है।

इन्हीं तीनों का योग चतुर्थ या द्वादश भाव में हो तो जातक अत्यंत कामी होता है और अपने जीवन में मर्यादा त्याग कर अधिक अवैध संबंध बनाता है। लग्नेश एकादश में स्थित हो और उस पर पाप प्रभाव हो तो जातक अप्राकृतिक यौनक्रियाएं की तृप्ति हेतु अवैध संबंध बनाता है। जन्म कुंडली में चन्द्रमा, मंगल, शुक्र, राहू, सप्तम भाव, पंचम भाव और द्वादश भाव अवैध संबंध का निर्माण करते हैं।

मंगल शारीरिक शक्ति का कारक है तथा विवाह के पश्चात जो संबंध बनते हैं उसको भी दर्शाता है। शुक्र तो स्वयं भोग विलास है, विपरित लिंग व अन्यों को आकर्षित कराता है, कामेच्छा जगाता है, रोमांस देता है। शनि वैराग्य भी देता है, आलोचना और योगों में अवैध संबंधों के कारक का भी कार्य करता है फिर भी अवैध संबंधों के योगों को देखने से पूर्व जन्म कुंडली में शुभ ग्रहों, और अन्य योगों का भी निरीक्षण करना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा होता है जन्म कुंडली में अवैध संबंध योग बन रहा है किन्तु वहीं पर जन्म कुंडली मेें पतिव्रता/एक पत्नीव्रत का भी योग है इन दोनों योगों में से जो योग बलवान होगा जातक वैसा ही होगा।

शुक्र और सूर्य की युति लग्न में जहां व्यक्ति को व्याभिचार देती है वहीं किसी शुभ ग्रह की युति अथवा दृष्टि उसके व्याभिचार योग को नष्ट कर देती है। ऐसे ही मंगल और शुक्र की युति पंचम भाव में अवैध संबंध के स्थान पर प्रेम भी देती है अत: जन्म कुंडली का पूर्ण निरीक्षण करने के पश्चात ही फलादेश करना चाहिए।

Aaj Ka Panchang बुधवार के ज्योतिष उपाय :-

 बुधवार का दिन व्यापार, नौकरी, तरक्की के लिए सबसे बेहतर माना जाता है. अगर आपकी कुंडली में आपको बुध ग्रह शुभ फल दे रहा हो तो आपके चारों ओर खुशियां ही खुशियां नज़र आती है. लेकिन बुध की स्थिति कंडली में कमजोर होने की वजह से आप आर्थिक तंगी का शिकार हो जाते हैं और समय के साथ-साथ आप पर कर्ज़ा चढ़ने लगता है. ऐसे में बुधवार का एक उपाय आपकी इस तरह की सारी समस्यों का निवारण कर सकता है.

ये गऊ माता का उपाय बहुत ही चमत्कारी माना जाता है. मान्यता है कि गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है. उनकी सेवा करने वाले का कभी बुरा नहीं होता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने से कई धार्मिक और ज्योतिषीय फायदे हो सकते हैं. हम आपको कुछ ज्योतिषीय आधारित फायदों के बारे में बता रहे हैं जो संस्कृतियों और परंपराओं में मान्यता प्राप्त हैं:

धन समृद्धि: गाय को हरा चारा खिलाने से धार्मिक दृष्टिकोन से धन की प्राप्ति में सहायता मिल सकती है.

सौभाग्य: इस प्रथा के अनुसार, गाय को हरा चारा खिलाने से व्यक्ति का सौभाग्य बढ़ता है और वह समृद्ध जीवन जी सकता है.

आरोग्य: गाय के चारे में पोषक तत्व होते हैं, जो गाय के दूध और दूध से बनी चीजों के सेवन से व्यक्ति को आरोग्यवर्धक लाभ मिल सकता है.

परिवार की सुख-समृद्धि: गाय को हरा चारा खिलाने से पूरे परिवार में समृद्धि आती है, जिससे परिवार के सभी सदस्य खुश और संतुष्ट रह सकते हैं.

बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाना से आपको क्या फायदा होगा ये सबकी कुंडली के ग्रहों की दशा पर निर्भर भी करता है. लेकिन गाय की सेवा करने से कभी किसी का बुरा नहीं हुआ. अगर आप ये उपाय किसी मनोवांछित इच्छा से कर रहे हैं तो एक बार किसी विद्वान की राय ले सकते हैं।

ये जानकारी ये विशेषताएं और फायदे कई संस्कृतियों और परंपराओं से जुड़े होते हैं और इनका विश्वास व्यक्ति के विचार और धार्मिक आचार-विचार पर निर्भर करता है. अगर आपको इन विषयों में और जानकारी चाहिए, तो आपको एक ज्योतिषाचार्य या धार्मिक विशेषज्ञ से सलाह जरुर ले लें.

|| ♥ धन्यवाद् ♥ ||


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