“Aaj Ka Panchang: आज 26 मार्च 2024 का शुभ मुहूर्त, पढ़ें दिशाशूल, तिथि और शुभ कार्य!!!”

Aaj Ka Panchang: आज 26 मार्च 2024 का शुभ मुहूर्त, पढ़ें दिशाशूल, तिथि और शुभ कार्य

Aaj Ka Panchang

🌞~Aaj Ka Panchang वैदिक पंचांग ~🌞

🌤️ दिनांक – 26 मार्च 2024
🌤️ दिन – मंगलवार
🌤️ विक्रम संवत – 2080
🌤️ शक संवत – 1945
🌤️ अयन – उत्तरायण
🌤️ ऋतु – वसंत ऋतु
🌤️ मास – चैत्र (गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार फाल्गुन
🌤️ पक्ष – कृष्ण
🌤️ तिथि – प्रतिपदा दोपहर 02:55 तक तत्पश्चात द्वितीया
🌤️ नक्षत्र – हस्त दोपहर 01:34 तक तत्पश्चात चित्रा
🌤️ योग – ध्रुव रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात व्याघात
🌤️ राहुकाल – शाम 03:48 से शाम 05:20 तक
🌞 सूर्योदय – 06:38
🌤️ सूर्यास्त – 18:50
👉 दिशाशूल – उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – वसंतोत्सव प्रारंभ, आम्रकुसुम-प्राशन
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

♦~Aaj Ka Panchang वैदिक पंचांग ~♦ 

♣ चैत्र मास :-
♦ होली के तुरंत बाद चैत्र मास का प्रारंभ हो जाता है। चैत्र हिन्दू धर्म का प्रथम महीना है।
♦ चित्रा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने के कारण इसका नाम चैत्र पड़ा (चित्रानक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी यत्र सः)।
♦ इस वर्ष 26 मार्च 2024 (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) चैत्र का आरम्भ होगा और गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार 09 अप्रैल से चैत्र मास प्रारंभ होगा । चैत्र मास को मधु मास के नाम से जाना जाता है।
♦ इस मास में बसंत ऋतु का यौवन पृथ्वी पर देखने को मिलता है।
♦ चैत्र में रोहिणी और अश्विनी शून्य नक्षत्र हैं इनमें कार्य करने से धन का नाश होता है।
♦ महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार
“चैत्रं तु नियतो मासमेकभक्तेन यः क्षिपेत्। सुवर्णमणिमुक्ताढ्ये कुले महति जायते।।”
♦ जो नियम पूर्वक रहकर चैत्रमास को एक समय भोजन करते बिताता है, वह सुवर्ण, मणि और मोतियों से सम्पन्न महान         कुल में जन्म लेता है ।
♦ चैत्र में गुड़ खाना मना बताया गया है। चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
♦ शिवपुराण के अनुसार चैत्र में गौ का दान करने से कायिक, वाचिक तथा मानसिक पापों का निवारण होता है।
♦ देव प्रतिष्ठा के लिये चैत्र मास शुभ है।
♦ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का शुभारम्भ होता है। हिन्दू नववर्ष के चैत्र मास से ही शुरू होने के पीछे पौराणिक मान्यता      है कि भगवान ब्रह्मदेव ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी।
    ताकि सृष्टि निरंतर प्रकाश की ओर बढ़े।
    चैत्रमासि जगद् ब्रह्मा स सर्वा प्रथमेऽवानि ।
    शुक्ल पक्षे समग्रं तत – तदा सूर्योदय सति ।। (ब्रह्मपुराण)
♦ नारद पुराण में भी कहा गया है की चैत्रमास के शुक्लपक्ष में प्रथमदिं सूर्योदय काल में ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण जगत की सृष्टि         की थी।
    चैत्रे मासि जगद्ब्रह्मा ससज प्रथमेऽहनि ।।
    शुक्लपक्षे समग्रं वै तदा सूर्योदये सति ।।

इसलिए खास है चैत्र :-
   चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रेवती नक्षत्र में विष्कुम्भ योग में दिन के समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। “कृते च       प्रभवे चैत्रे प्रतिपच्छुक्लपक्षगा । रेवत्यां योग-विष्कुम्भे दिवा द्वादश-नाड़िका: ।। मत्स्यरूपकुमार्यांच अवतीर्णो हरि: स्वयम्।
♦ चैत्र शुक्ल तृतीया तथा चैत्र पूर्णिमा मन्वादि तिथियाँ हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
♦ भविष्यपुराण में चैत्र शुक्ल से विशेष सरस्वती व्रत का विधान वर्णित है ।
♦ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र मनाये जाते हैं जिसमें व्रत रखने के साथ माँ जगतजननी की पूजा का विशेष            विधान है।
♦ चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है।
♦ युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से माना जाता है।
♦ मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को हुआ था।
♦ युगाब्द (युधिष्ठिर संवत) का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को माना जाता है।
♦ उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को किया गया था।
♦ चैत्र मास में ऋतु परिवर्तन होता है और हमारे आयुर्वेदाचार्यों ने इस मास को स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना है।
♦ पारिभद्रस्य पत्राणि कोमलानि विशेषत:। सुपुष्पाणि समानीय चूर्णंकृत्वा विधानत: ।
मरीचिं लवणं हिंगु जीरणेण संयुतम्। अजमोदयुतं कुत्वा भक्षयेद्रोगशान्तये ।

 ~Aaj Ka Panchang वैदिक पंचांग ~ 

|| ♥ धन्यवाद् ♥ ||


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