Hanuman ji हनुमान जी को संकट मोचन हनुमान जी क्यों कहते हैं :-
हम हर समय हनुमान जी का नाम लेते हैं जब भी कोई मुसीबत आती है। क्या आपने कभी सोचा है कि हनुमान जी को ही संकट मोचन हनुमान या संकट मोचन हनुमान कहा जाता है? कई लोग कहेंगे कि प्रभु श्रीराम के संकटों को दूर करने के कारण हनुमान जी को संकट मोचन हनुमान जी कहा जाता है, लेकिन हम सभी के संकटों को कैसे दूर किया?
इसलिए आज के लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। प्रभु श्रीराम के संकटों को दूर करना एक बात है, लेकिन माता सीता के आशीर्वाद और हनुमान जी की बुद्धिमता भी इसका एक हिस्सा हैं।
हम हनुमान जी को संकटमोचन क्यों कहते हैं, यह पता लगाने से पहले हम संकट मोचन का क्या अर्थ है और इससे हमारा क्या अर्थ निकालना चाहिए। वास्तव में, संकट मोचन का मतलब सिर्फ संकटों को हरने वाले से नहीं है, बल्कि हमें एक नई दिशा दिखाने और हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देने से है।
सभी जानते हैं कि भक्त हनुमान भगवान शिव का एक आंशिक अवतार थे. उन्होंने जन्म लिया था ताकि भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम की मदद कर सकें। उस समय, भगवान हनुमान ने अपनी बुद्धि और चतुराई से श्रीराम को सबसे बड़े संकटों से बचाया।
Hanuman ji भगवान श्रीराम के संकटमोचन :-
आप रामायण की कथा और श्रीराम और दुष्ट रावण की लड़ाई को जानते होंगे, साथ ही भगवान हनुमान की भूमिका को भी जानते होंगे। आइये जानते हैं कि हनुमान ने प्रभु श्रीराम को कई बार परेशान किया और उनकी सहायता की।
-
अहिरावण से मुकाबला
रावण का मायावी भाई अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को मुर्छित करके पाताल ले गया, जहाँ वह उन दोनों को अपनी देवी के सामने बलि चढ़ाने वाला था। ऐसे समय में हनुमान स्वयं पाताल गए और अहिरावण को मार डाला और राम और लक्ष्मण को सुरक्षित वापस लाए।
ऐसे कई अन्य उदाहरण हैं जब हनुमान ने अपनी बुद्धि और शक्ति का प्रदर्शन किया और भगवान श्री राम के सभी संकटों को हल किया। संकट मोचन हनुमान जी भगवान राम को हर समस्या से बचाता था, इसलिए उन्हें संकट मोचन हनुमान जी कहा जाता है।
-
लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा
हिमालय में स्थित संजीवनी बूटी ने राम के भाई लक्ष्मण को बचाया, जब वे इंद्रजीत के साथ हुए युद्ध में बुरी तरह घायल हो गए। उन्हें वह संजीवनी बूटी सीमित समय में दी जानी चाहिए थी, अन्यथा वे मर जाएंगे। ऐसे समय में हनुमान ने लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा की, पूरे संजीवनी पर्वत को हिमालय से उठा लिया।
-
रामसेतु का निर्माण
जब भगवान राम अपनी सेना के साथ लंका पार करने वाले थे तब उस पर पूल बनाने का उत्तरदायित्व भी हनुमान ने ही उठाया था। वे स्वयं सभी पत्थरों पर भगवान राम का नाम लिख रहे थे ताकि वह पानी में डूबे नही।
-
विभीषण को अपनाना
लंका से मुक्त होने के बाद रावण का भाई विभीषण श्री राम की शरण में आया, तो पूरी वानर सेना उनके चरित्र पर शक कर रही थी। उस समय केवल श्री राम के प्रिय भक्त हनुमान ने श्री राम का साथ दिया और पूरी सेना को बताया। रावण की मृत्यु का मुख्य कारण भी वही विभीषण था।
-
माता सीता को खोजना
जब रावण ने माता सीता को धोखे से अपने पुष्पक विमान में बिठाकर भारत से कहीं दूर लंका ले गया, तो राम और लक्ष्मण को माता सीता का पता लगाना बहुत मुश्किल था और उन्हें माता सीता के कुशल मंगल की भी चिंता थी। ऐसे समय में हनुमान ने अपनी शक्ति का उपयोग करके माता सीता से भेंट की और लंका की उड़ान भरी। वहाँ उन्होंने माता सीता का पता लगाया और उन्हें सुरक्षित निकालने का आश्वासन भी दिया।
साथ ही, लंका के सैनिकों ने हनुमान को पकड़कर रावण के सामने लाया, तो रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश दिया। लेकिन हनुमान जी को उससे कुछ नै हुआ बल्कि उसी आग से उनहोंने पुरे लंका को आग लगा दिया।
Hanuman ji हनुमान जी की बुद्धिमता व शक्ति
भक्त हनुमान भगवान श्रीराम की भक्ति और सेवा करने के अलावा बहुत बुद्धिमान और शक्तिशाली भी थे। जब वे बचपन में सूर्य देव को निगल गए, तो इंद्र ने उन पर वज्र से प्रहार कर घायल कर दिया। उस समय वायुदेव ने क्रोध में पूरी पृथ्वी की वायु को रोक दिया, जिससे सभी जीव मर गए।
उस समय स्वयं ब्रह्मा ने हनुमान को ठीक किया और वरदान भी दिया। उन्हें ब्रह्मा के वरदान से कुछ भी नहीं मिल सकता था, चाहे वह ब्रह्मास्त्र हो या कोई अन्य हथियार हो। इसके अलावा, हनुमान को अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार कई देवों ने वरदान दिए।
Hanuman ji को माता सीता ने दिया वरदान
माता सीता से प्राप्त वरदान भी भगवान हनुमान को संकटमोचन कहा जाता था। वास्तव में, भगवान हनुमान माता सीता को अपना गुरु मानते थे, और माता सीता हनुमान की अद्भुत निष्ठुरता और भक्ति से बहुत खुश थी। यही कारण है कि माता सीता ने हनुमान को हर समय विजयी और अमर होने का वरदान दिया और श्री राम के भक्तों को हमेशा कष्ट देने को कहा।
इसलिए केवल भगवान हनुमान ही ऐसे हैं जो कभी धरती से नहीं चले और मनुष्य बनकर हमेशा के लिए अमर रहे। कहते हैं कि भगवान हनुमान माता सीता से मिले वरदान के कारण आज भी जीवित हैं और श्रीराम के भक्तों को मुसीबत से बचाते हैं। हनुमान को हर कोई मनाता है।
Hanuman ji कुछ महत्वपूर्ण बातें :-
ऐसे कई उदाहरण हम आपको दे सकते हैं जब श्रीराम के संकट के समय विभिन्न लोगों ने अपनी-अपनी भूमिकाएं निभाई थी तो आखिर हनुमान को ही संकट मोचन हनुमान की भूमिका में सर्वोपरि क्यों रखा गया है? आइये इस शंका का समाधान भी कर लेते हैं।
- यह तो हम सब जानते हैं कि भक्त हनुमान को सभी वेदों, शास्त्रों का संपूर्ण ज्ञान था, इसी के साथ उन्हें अष्ट सिद्धियों और नव निधियों का दाता भी कहा जाता है। किंतु यदि आपने ध्यान दिया हो तो ज्ञानियों में सबसे ज्यादा ज्ञानी होने के बाद भी संपूर्ण रामायण में हनुमान कहीं भी आपको किसी के साथ शास्त्र की व्याख्या करते, दूसरों को वाद-विवाद के लिए आमंत्रित करते या प्रवचन देते हुए नही दिखाई पड़ेंगे।
- रामायण में हनुमान केवल वहीं बोले जहाँ उनकी आवश्यकता थी, ना उससे कम बोले और ना उससे अधिक। जब हनुमान पहली बार समुंद्र पार करके लंका पहुंचे थे तब उनकी रावण से पहली बार भेंट हुई थी। तब भी हनुमान ने रावण को सीमित शब्दों में सचेत कर दिया था लेकिन उसके ना समझने पर वे मौन हो गए थे और उसके बाद का परिणाम हम सभी जानते हैं।
- कहने का अर्थ यह हुआ कि ज्ञान का अर्थ ही मौन हो जाना होता है। साधारण मनुष्य इसलिए बोलता है ताकि बोलने से शायद कुछ प्राप्त हो जाए, बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा वाद-विवाद का उद्देश्य अपनी बुद्धिमता का परिचय देना होता है जबकि जिसने संपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर लिया हो वह किसी से अनावश्यक बातचीत नही करता, वह केवल उतना बोलता है जितना स्थिति के अनुसार आवश्यक हो।
- इसलिए रामायण में आप हनुमान को बोलते हुए कम पाएंगे और अपने कर्मों को करते हुए ज्यादा। भले ही श्रीराम के जीवन में समय-समय पर कई दुविधाएं आई और उनका निवारण करने में अलग-अलग लोगों की भूमिकाएं रही हो लेकिन जब श्रीराम की विपत्ति का हल किसी के पास नही था तब हनुमान काम आये थे।
- जैसे कि जब श्रीराम और लक्ष्मण मेघनाथ के नागपास में अपनी अंतिम सांसे गिन रहे थे। उस स्थिति में हनुमान बिना एक पल भी व्यर्थ किये सीधे भगवान गरुड़ को लेने चले गए थे जिन्होंने श्रीराम और लक्ष्मण को नागपाश से मुक्ति दिलाई थी। ऐसे आपको कई उदाहरण मिल जाएंगे जब हनुमान ने बातों में अपना समय व्यर्थ करने की बजाए कर्मों को प्राथमिकता दी।
- Also Read :- https://todayusnews.in/exclusive-easter-absence/
|| ♥ धन्यवाद् ♥ ||
Discover more from Dharmik Vartalap "Kendra"
Subscribe to get the latest posts to your email.
3 thoughts on ““Hanuman ji हनुमान जी को संकट मोचन हनुमान जी क्यों कहते हैं।1!!!””