Aaj Ka Panchang: आज 14 मई 2024 का शुभ मुहूर्त, पढ़ें दिशाशूल, तिथि और शुभ कार्य :-
~Aaj Ka Panchang वैदिक पंचांग ~
♣ आज का पंचांग ♣
♦ दिनांक – 14 मई 2024
♦ दिन – मंगलवार
♦ विक्रम संवत – 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)
♦ शक संवत -1946
♦ अयन – उत्तरायण
♦ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♦ मास – वैशाख
♦ पक्ष – शुक्ल
♦ तिथि – सप्तमी 15 मई प्रातः 04:19 तक तत्पश्चात अष्टमी
♦ नक्षत्र – पुष्य दोपहर 01:05 तक तत्पश्चात अश्लेशा
♦ योग – गण्ड सुबह 07:26 तक तत्पश्चात वृद्धि
♦ राहुकाल – शाम 03:52 से शाम 05:31 तक
♦ सूर्योदय-05:52
♦ सूर्यास्त- 18:38
♦ दिशाशूल – उत्तर दिशा में
♦ व्रत पर्व विवरण – श्री गंगा सप्तमी (श्री गंगा जयंती),विष्णुपदी-वृषभ संक्रांति (पुण्यकाल: दोपहर 11:01 से शाम 06:04 तक
♦ विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
Aaj Ka Panchang बुधवारी अष्टमी :-
♦ 15 मई 2024 बुधवार को सूर्योदय से 16 मई सूर्यास्त तक बुधवारी अष्टमी है।
♦ मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
♦ सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
♦ इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है। (शिव पुराण, विद्यश्वर संहिताः अध्याय 10)
Aaj Ka Panchang पापनाशिनी, पुण्यप्रदायिनी गंगा :-
♦ 14 मई 2024 मंगलवार को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है।
♦ जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है। गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया हैः
संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः।।
♦ ‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करने वाली हैं । आप जीवनरूपा है। आप आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करने वाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार नमस्कार है।'(स्कंद पुराण, काशी खं.पू. 27.160)
♦ जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इन दिनों में गंगा जी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है। वैशाख, कार्तिक और माघ मास की पूर्णिमा, माघ मास की अमावस्या तथा कृष्णपक्षीय अष्टमी तिथि को गंगास्नान करने से भी विशेष पुण्यलाभ होता है।
♦ स्रोतः लोक कल्याण सेतु, पृष्ठ संख्या 11, अप्रैल 2011, अंक 166
Aaj Ka Panchang गंगा स्नान का फल :-
♦ 14 मई 2024 मंगलवार को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है ।
♦ “जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।” (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
Aaj Ka Panchang धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए :-
♦ हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
♦ सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
♦ विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
♦ आहुति मंत्र :-
♦ 1. ॐ कुल देवताभ्यो नमः
♦ 2. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
♦ 3. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
♦ 4. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
♦ 5. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
Aaj Ka Panchang आर्थिक परेशानी से बचने हेतु :-
हर महीने में शिवरात्रि (मासिक शिवरात्रि – कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी) को आती है | तो उस दिन जिसके घर में आर्थिक कष्ट रहते हैं वो शाम के समय या संध्या के समय जप-प्रार्थना करें एवं शिवमंदिर में दीप-दान करें।
और रात को जब 12 बज जायें तो थोड़ी देर जाग कर जप और एक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।तो आर्थिक परेशानी दूर हो जायेगी।
प्रति वर्ष में एक महाशिवरात्रि आती है और हर महीने में एक मासिक शिवरात्रि आती है। उस दिन शाम को बराबर सूर्यास्त हो रहा हो उस समय एक दिया पर पाँच लंबी बत्तियाँ अलग-अलग उस एक में हो शिवलिंग के आगे जला के रखना। बैठ कर भगवान शिवजी के नाम का जप करना प्रार्थना करना, | इससे व्यक्ति के सिर पे कर्जा हो तो जल्दी उतरता है, आर्थिक परेशानियाँ दूर होती है।
Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-
अवैध संबंधों के लिए कोई एक दोषी नहीं होता, स्त्री और पुरुष दोनों से मिलकर ही अवैध संबंध का निर्माण होता है। विवाहित या अविवाहित कोई भी पुरुष अथवा स्त्री हो, जो अपने जीवनसाथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित करें तो उसकी गिनती अवैध संबंधों में होती है इसके लिए केवल स्त्री ही जिम्मेदार नहीं बल्कि इसमें पुरुष वर्ग का विशेष हाथ होता है,
किन्तु पुरुष के अवैध संबंध के लिए स्त्री ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इस सत्य को स्वीकार करना आसान नहीं है क्योंकि सत्य बड़ा कठोर होता है।
पुरुष जब किसी अन्य स्त्री से अवैध संबंध स्थापित करने के लिए छल, दुष्टपूर्ण नीतियों और कुटिलताओं से स्त्री को आकर्षित करने की चेष्टा करता हैं तो स्त्री अगर उस समय चाहे तो कोई भी संसार का पुरुष उसको उसके मन के विरुद्ध किसी अन्य मार्ग पर नहीं ले जा सकता,
ये शक्ति नारी जाति में स्वत: व्याप्त है किन्तु इसको समझना या ना समझना ये भिन्न-भिन्न स्त्रियों पर निर्भर करता है फिर भी कई बार इस तरह की परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि पुरुष किसी दूसरी स्त्री के सम्पर्क में चला जाता है या स्त्री किसी अन्य पुरुष का साथ चाहने लगती है इसका सीधा संबंध पति अथवा पत्नी की कामवासना, प्यार और सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करने से होता है।
ज्योतिष शास्त्र में अवैध संबंध जैसे विषय पर भी स्पष्टता मिलती है चन्द्रमा मन का कारक होता है और कामवासना मन से जागती है। लग्न व्यक्ति स्वयं होता है पंचम भाव प्रेमिका और सप्तम भाव पत्नी का होता है एवं शुक्र भोग विलास का कारक है, शनि, राहू, मंगल और पंचम भाव, पंचमेश, द्वादश और द्वादशेश का आपस में संबंध होना जातक के विवाह पूर्व एवं पश्चात अवैध संबंध स्थापित करवाते हैं।
जन्म कुंडली में सप्तम भाव पर शनि की चन्द्रमा के साथ युति जहां जातक को मानसिक रूप से पीड़ित करती है वहीं प्रेम संबंध भी करवाती है। कुछ ऐसे ज्योतिषीय योगों का उल्लेख कर रहा हूं, जिनके जन्म कुंडली में होने से, जातक का अवैध संबंध और कामुक होने का संकेत मिलता है।
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Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-
जन्म कुंडली में शनि और शुक्र की युति, वैवाहिक जीवन में किसी अन्य का आना बताता है। पंचम भाव में शनि, शुक्र और मंगल की युति अवैध संबंध का निर्माण करती है। मेष या वृश्चिक राशि में मंगल के साथ शुक्र के होने से पराई स्त्री से घनिष्ठा बनती है। दोस्तों यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा से द्वितीय स्थान में शुक्र हो तो ‘सुनफा योग’ बनता है । ऐसा जातक भौतिक सुखों की प्राप्ति करता हैं उसका सौन्दर्य आकर्षक होता है अन्य स्त्रियों से शारीरिक संबंध की प्रबल संभवना होती है।
बात करते हैं द्वितीय, षष्ठ और सप्तम भाव के किसी भी स्वामी के साथ यदि शुक्र की युति लग्न में हो तो जातक का चरित्र संदेहप्रस्त होता है। वहीं सूर्य और शुक्र की युति मीन लग्न में होने से जातक अत्यंत कामुक होता है उसका अवैध संबंध बनता है तथा ऐसे जातक की कामवासना की तृप्ति शीघ्र नहीं होती। बात करते हैं बुध और शुक्र की युति की।
बुद्ध एवं शुक्र की युति यदि सप्तम भाव में हो तो जातक अवैध संबंधों के लिए नित नूतन तरीके अपनाता हैं।दोस्तों शनि, मंगल और शुक्र का काम वासना से घनिष्ठ संबंध है यदि जन्म कुंडली में शनि और मंगल की युति सप्तम भाव पर हो तो जातक समलिंगी होता है।
ये ही युति यदि अष्टम, नवम, द्वादश भाव पर हो तो जातक का अपने बड़ों से अवैध संबंध होता हैं। मंगल और राहू की युति अथवा दृष्टि शुक्र पर हो तो जातक कामुक होता है एवं अवैध संबंध बनाने के लिए उसका मन भटकता है। लग्न, चतुर्थ, सप्तम, दशम भाव में गुरु पर मंगल शुक्र का प्रभाव और चन्द्रमा पर राहू का प्रभाव हो तो व्यक्ति अवैध संबंध बनाने के लिए सभी सीमाओं का उल्लंघन कर देता है।
लग्न में शनि का होना जातक को कामवासना अधिक देता है, पंचम भाव में शनि होने से अपने से बड़ी स्त्रियों के प्रति अवैध संबंध बनाने के लिए जातक को आकर्षित करता है। शनि का सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ होना और मंगल की दृष्टि पड़ने से जातक वेश्यागामी होता है इसी योग में अगर शुक्र का संबंध दृष्टि अथवा युति से बन जाए तो अवैध संबंध निश्चित हो जाता है।
चन्द्रमा जन्म कुंडली में कहीं पर भी नीच को होकर बैठा हो और उस पर पाप प्रभाव हो तो जातक अपने नौकर/नौकरानी से अवैध संबंध बनवाता है यहीं चन्द्रमा अगर दूषित होकर नवम भाव में स्थित हो तो जातक अपने गुरु अथवा अपने से बड़ों के साथ अवैध संबंध बनाता है।
Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-
मंगल रक्त को दर्शता है जन्म कुंडली में किसी पाप ग्रह के साथ मंगल की युति सप्तम भाव में हो या सूर्य सप्तम में और मंगल चतुर्थ स्थान में हो अथवा चतुर्थ भाव में राहू हो तो व्यक्ति कामुकता में अंध होकर पशु समान कार्य करता है।
राहू का अष्टम भाव में होना जातक का अवैध संबंध कराता है। तुला राशि में चार ग्रह एक साथ होने से जातक के परिवार में कलेश उत्पन्न करते है जिसके कारण जातक बाहर अवैध संबंध बनाता है। शनि का दशम भाव में होना जातक के मन में विरोधाभास उत्पन्न करता है। शुक्र और मंगल की युति जन्म कुंडली में कहीं पर भी हो एवं शनि दशम भाव में हो तो जातक ज्ञानवान भी होता है एवं काम वासना और अवैध संबंधों को गंभीरता से लेता है उसका मन स्थिर नहीं रह पाता, कभी ज्ञानी बन जाता है कभी अवैध संबंधों का दास।
बुध और शनि का संबंध सप्तम भाव से हो तो ऐसे जातक यौनक्रियाओं में नीरस एवं अयोग्य होते हैं। सूर्य का सप्तम भाव में होना जातक के वैवाहिक जीवन में कलेश उत्पन्न करता है, इससे परेशान होकर जातक अवैध संबंध बनाता है।
सप्तम भाव में राहू और शुक्र हो अथवा राहू और चन्द्रमा की युति हो तथा गुरु द्वादश भाव में स्थित हो तो विवाह पश्चात कार्यालयों में ही अवैध-संबंध बनते हैं। बुध और शनि की युति यदि द्वादश भाव में हो तो जातक शीघ्रपतन का रोगी बन जाता है और इसी योग में यदि लग्न, सप्तम और अष्टम भाव में राहू हो तो व्यक्ति अपनी जवानी को स्वयं नष्ट करता है एवं उसका जीवनसाथी किसी अन्य से शरीरिक तृप्ति लेता है।
लग्न में शनि का होना जातक को कामवासना अधिक देता है, पंचम भाव में शनि होने से अपने से बड़ी स्त्रियों के प्रति अवैध संबंध बनाने के लिए जातक को आकर्षित करता है। शनि का सप्तम भाव में चन्द्रमा के साथ होना और मंगल की दृष्टि पड़ने से जातक वेश्यागामी होता है इसी योग में अगर शुक्र का संबंध दृष्टि अथवा युति से बन जाए तो अवैध संबंध निश्चित हो जाता है।
चन्द्रमा जन्म कुंडली में कहीं पर भी नीच को होकर बैठा हो और उस पर पाप प्रभाव हो तो जातक अपने नौकर/नौकरानी से अवैध संबंध बनवाता है यहीं चन्द्रमा अगर दूषित होकर नवम भाव में स्थित हो तो जातक अपने गुरु अथवा अपने से बड़ों के साथ अवैध संबंध बनाता है। मंगल रक्त को दर्शता है जन्म कुंडली में किसी पाप ग्रह के साथ मंगल की युति सप्तम भाव में हो या सूर्य सप्तम में और मंगल चतुर्थ स्थान में हो अथवा चतुर्थ भाव में राहू हो तो व्यक्ति कामुकता में अंध होकर पशु समान कार्य करता है।
Aaj Ka Panchang ज्योतिष योग और अवैध संबंध :-
राहू का अष्टम भाव में होना जातक का अवैध संबंध कराता है। तुला राशि में चार ग्रह एक साथ होने से जातक के परिवार में कलेश उत्पन्न करते है जिसके कारण जातक बाहर अवैध संबंध बनाता है। शनि का दशम भाव में होना जातक के मन में विरोधाभास उत्पन्न करता है। शुक्र और मंगल की युति जन्म कुंडली में कहीं पर भी हो एवं शनि दशम भाव में हो तो जातक ज्ञानवान भी होता है एवं काम वासना और अवैध संबंधों को गंभीरता से लेता है उसका मन स्थिर नहीं रह पाता,
कभी ज्ञानी बन जाता है कभी अवैध संबंधों का दास। बुध और शनि का संबंध सप्तम भाव से हो तो ऐसे जातक यौनक्रियाओं में नीरस एवं अयोग्य होते हैं। सूर्य का सप्तम भाव में होना जातक के वैवाहिक जीवन में कलेश उत्पन्न करता है, इससे परेशान होकर जातक अवैध संबंध बनाता है।
सप्तम भाव में राहू और शुक्र हो अथवा राहू और चन्द्रमा की युति हो तथा गुरु द्वादश भाव में स्थित हो तो विवाह पश्चात कार्यालयों में ही अवैध-संबंध बनते हैं। बुध और शनि की युति यदि द्वादश भाव में हो तो जातक शीघ्रपतन का रोगी बन जाता है और इसी योग में यदि लग्न, सप्तम और अष्टम भाव में राहू हो तो व्यक्ति अपनी जवानी को स्वयं नष्ट करता है एवं उसका जीवनसाथी किसी अन्य से
शरीरिक तृप्ति लेता है। मंगल जोश और शुक्र भोग एवं द्वादश भाव अवैध संबंध में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है यदि मंगल, शुक्र और द्वादश भाव का स्वामी का संबंध सप्तम भाव से हो तो व्यक्ति लंपट होता है एवं कई स्त्रियों से उसका अवैध संबंध होता है।
इन्हीं तीनों का योग चतुर्थ या द्वादश भाव में हो तो जातक अत्यंत कामी होता है और अपने जीवन में मर्यादा त्याग कर अधिक अवैध संबंध बनाता है। लग्नेश एकादश में स्थित हो और उस पर पाप प्रभाव हो तो जातक अप्राकृतिक यौनक्रियाएं की तृप्ति हेतु अवैध संबंध बनाता है। जन्म कुंडली में चन्द्रमा, मंगल, शुक्र, राहू, सप्तम भाव, पंचम भाव और द्वादश भाव अवैध संबंध का निर्माण करते हैं।
मंगल शारीरिक शक्ति का कारक है तथा विवाह के पश्चात जो संबंध बनते हैं उसको भी दर्शाता है। शुक्र तो स्वयं भोग विलास है, विपरित लिंग व अन्यों को आकर्षित कराता है, कामेच्छा जगाता है, रोमांस देता है। शनि वैराग्य भी देता है, आलोचना और योगों में अवैध संबंधों के कारक का भी कार्य करता है फिर भी अवैध संबंधों के योगों को देखने से पूर्व जन्म कुंडली में शुभ ग्रहों,
और अन्य योगों का भी निरीक्षण करना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा होता है जन्म कुंडली में अवैध संबंध योग बन रहा है किन्तु वहीं पर जन्म कुंडली मेें पतिव्रता/एक पत्नीव्रत का भी योग है इन दोनों योगों में से जो योग बलवान होगा जातक वैसा ही होगा।
शुक्र और सूर्य की युति लग्न में जहां व्यक्ति को व्याभिचार देती है वहीं किसी शुभ ग्रह की युति अथवा दृष्टि उसके व्याभिचार योग को नष्ट कर देती है। ऐसे ही मंगल और शुक्र की युति पंचम भाव में अवैध संबंध के स्थान पर प्रेम भी देती है अत: जन्म कुंडली का पूर्ण निरीक्षण करने के पश्चात ही फलादेश करना चाहिए।
Aaj Ka Panchang मंगलवार का ज्योतिष उपाय :-
मंगलवार को हनुमान जी की कृपा पाने के लिए कुछ उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यदि आप जीवन के कष्टों से बचना चाहते हैं, तो इन उपायों का ध्यान रखें:
- हनुमान जी के दाहिने कंधे पर सिंदूर का तिलक :- मंगलवार के दिन मंदिर जाकर हनुमान जी के दाहिने कंधे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। इससे साधक के कार्यों में आ रही रुकावट दूर होती है।
- चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर बजरंगबली जी को अर्पित करें :- इस उपाय से जीवन के सभी दुख-संताप दूर हो जाते हैं।
- कर्ज का चुकाव :- माना जाता है कि यदि आप अपना कर्ज मंगलवार के दिन चुकाते हैं, तो इससे जीवन में कभी कर्ज लेने की नौबत नहीं आती।
- गुलाब की माला अर्पण :- मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर बजरंगबली जी को गुलाब के फूलों से बनी माला अर्पित करें। ऐसा आपको लगातार 7 मंगलवार तक करना है। इस उपाय से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है।
- मंगलवार के दिन मांस-मदिरा का सेवन करना वर्जित माना गया है।
- साथ ही इस दिन किसी से भी विवाद नहीं करना चाहिए।
- क्रोध करने या गृह कलह से बचें।
- बाल कटवाने या नाखून काटने की भी मनाही है।
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