Bharat भारत में शीर्ष 3 सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठ :-
हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भारत और उसके पड़ोसी क्षेत्रों में कुल 51 शक्तिपीठ (आदि शक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित मंदिर) स्थित हैं। शक्तिपीठ हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र पूजा स्थल हैं जो महिलाओं की परम शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन शक्तिपीठों में से तीन को सबसे शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि वे देवी के तीन सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं-सृष्टि (कामरूप देवी) पोषण (सर्वमंगला देवी/मंगलगौरी) और विनाश का प्रतीक हैं। ( महाकाली देवी ). इन पूज्य शक्तिपीठों के रहस्यों और आध्यात्मिक महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए नीचे पढ़ें।
Bharat भारत 51 शक्तिपीठ की कथा :-
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार, ब्रह्मा के एक था. जिसका नाम पुत्र प्रजापति राजा दक्ष था. राजा दक्ष के एक पुत्री थी. जिसका नाम सती मिलता है. वह भगवान शिव के शोर्य के बारे किवदंतीया सुनकर बड़ी हुई थी. अब वह विवाह करने योग्य हो गई थी.
भगवान शिव को अपना पति परमेश्वर बनाने की उसकी इच्छा थी. सती ने राज पाट महलो को त्याग कर जंगल में तपश्या करने लगी. माता सती ने शिवजी को पाने के लिए घनघोर तपश्या की. इससे भगवान शिव खुश हुए और उसके सामने प्रकट हुए.
तब सती ने शिव से विवाह करने का प्रस्ताव रखा. भगवान शिव ने विवाह का प्रस्ताव स्वीकार किया. अब प्रजापति राजा दक्ष की इच्छा के विरुद्ध सती ने शिवजी से विवाह कर दिया. इससे राजा दक्ष नाराज हुए.
एक दिन राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया. उस समय भगवान शिव और सती को छोडकर सभी देवताओ को न्योता दिया गया. इससे माता सती को बुरा लगा.
अपने पिता के निर्णय से आहत, सती ने अपने पिता से मिलने और उन्हें आमंत्रित न करने का कारण पूछने के लिए गई. जब उसने दक्ष के महल में प्रवेश किया. तब राजा दक्ष ने भरी सभा में सती के पति शिवजी को अपशब्द कहे.
जिद्दी और घमंडी राजा दक्ष ने कहा ये तो कब्रिस्तान में रहने वाला अशांत देव है और जानवरों का देवता है. यह अपमान माता सती को सहन नही हुआ. उसने स्वयं को यज्ञ की अग्नि के हवाले कर दिया.
जब शिव के सेवकों ने उन्हें अपनी पत्नी के निधन की सूचना दी, तो शिव अत्यंत क्रोधित हो उठे. और उन्होंने अपना वीरभद्र का रूप धारण किया. वीरभद्र ने दक्ष के महल में कहर ढाया और उसका वध कर दिया.
इस बीच, अपने प्रिय पत्नी की मृत्यु का शोक मनाते हुए, शिव ने सती के शरीर को कोमलता से अपने कंधो पर धारण किया और अपना तांडव (विनाश नृत्य) शुरू किया.
ब्रह्मांड को बचाने और शिव की पवित्रता को वापस लाने के लिए, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र का उपयोग करके सती के बेजान शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया. माता सती के ये 51 टुकड़े जहाँ भी गिरे उन्हें देवी माँ के 51 शक्ति पीठ कहा गया.
स्कन्द पुराण के अनुसार देवी माँ सती के 18 शक्ति पीठ है. जबकि ब्रह्म पुराण के अनुसार देवी के 64 शक्ति पीठ है. हम बात करने वाले है सबसे प्रचलित 51 शक्ति पीठ के बारे में. अन्य ग्रंथो में 52 शक्ति पीठ बताए गए है. शिव पुराण के अनुसार देवी माँ के 51 शक्ति पीठ है. देवी माँ सती के 51 शक्ति पीठ निम्नलिखित है.
Bharat भारत के 51 शक्तिपीठ के नाम :-
- महामाया मंदिर (अमरनाथ,JK)
- महामाया का यह शक्ति पीठ जम्मू कश्मीर में स्थित है. यहाँ देवी माँ सती के गले का भाग गिरा था. इसे महामाया शक्ति पीठ से जाना जाता है. यह त्रिसंदेश्वर भैरव शक्ति है.
- फुल्लारा शक्ति पीठ (अत्ताहासा, पश्चीम बंगाल)
- बहुला शक्ति पीठ (बर्धमान, प बंगाल)
- महिषमर्दिनी (बकरेश्वर, सिउरी)
- अवन्ती मंदिर (उज्जैन, मध्यप्रदेश)
- अपर्णा माता मंदिर (भवानीपुर, बांग्लादेश)
- गण्डकी चंडी माता मंदिर (चंडी नदी)
- भामरी माता मंदिर (जनस्थान)
- कोत्तरी माता मंदिर (कराची, पाकिस्तान)
- जयंती माता मंदिर (बौर्भाग, बांग्लादेश)
- योगेश्वरी माता शक्ति पीठ ( जिला खुलना)
- ज्वाला माता या सिद्धिदा माता मंदिर (काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश)
- कलिका माता मंदिर (कालीघाट, प बंगाल)
- कालमाधव काली माता मंदिर (अमरकंटक, मध्यप्रदेश)
- कामख्या शक्ति पीठ (गुहावटी, असम)
- देवगर्भा माता या काल्केश्वरी माता शक्ति पीठ (बीरभूम, प बंगाल)
- स्रवणी माता (कन्याकुमारी, तमिलनाडु)
- चामुंडेश्वरी माता या माँ जया दुर्गा (मैसूर)
- बिमला माता मंदिर (मुर्शिदाबाद, प बंगाल)
- कुमार शक्ति पीठ, आनंदमयी मंदिर (प बंगाल)
- भ्रामरी माता शक्ति पीठ (प बंगाल)
- दाक्षायनी शक्ति पीठ (मानसरोवर)
- गायत्री मणिबंध (पुष्कर, राजस्थान)
- उमा माता मंदिर मिथिला (नेपाल)
- इन्द्राक्ष शक्ति पीठ (नैनतिवू, मनिपल्लावं)
- भवानी (चंदार्नाथ पर्वत, बांग्लादेश)
- वाराही पंच सागर, उत्तरप्रदेश
- चंद्रभागा (जूनागढ़, गुजरात)
- ललिता मंदिर
- सावित्री / भद्रकाली (कुरुक्षेत्र, हरयाणा)
- मैहर / शिवानी (सतना, मध्यप्रदेश)
- नंदिनी / नंदिकेश्वर (बीरभूम, प बंगाल)
- सर्वशैल / राकिनी (कोतिलिंगेश्वर)
- महिषमर्दिनी (कराची, पाकिस्तान)
- नर्मदा शोंदेश (अमरकंटक, मध्यप्रदेश)
- सुन्दरी (बांग्लादेश)
- महा लक्ष्मी (बांग्लादेश)
- देवी नारायणी (सुचिन्द्रम, तमिलनाडु)
- सुन्ग्धा (शिकारपुर, बांग्लादेश)
- त्रिपुर सुन्दरी (त्रिपुरा)
- मंगल चंडिका (उज्जैन)
- विशालाक्षी (वाराणसी, उत्तरप्रदेश)
- कपालिनी (मेदिनीपुर, प बंगाल)
- अम्बिका (भरतपुर, राजस्थान)
- उमा माता (उत्तरप्रदेश)
- त्रिपुरमालिनी (जालन्धर, पंजाब)
- अम्बाजी (गुजरात)
- जया दुर्गा (झारखंड)
- दंतेश्वरी माता (छत्तीसगढ़)
- नबी गया माता (बिराज, जयपुर)
- भद्रकाली माता मंदिर (महाराष्ट्र)
Bharat भारत पुराण के अनुसार चार आदि शक्ति पीठ
हिन्दू धर्मिक ग्रंथ पुराण में माता सती के प्राचीन आदि शक्ति पीठ निम्नलिखित है. माता सती के सभी शक्ति पीठ नीचे दिए गए है. इनमे से ज्यादातर शक्ति पीठ भारत में है. चलिए जानते है भारत के प्रमुख शक्ति पीठ के बारे में.
बिमला मंदिर (पूरी, ओड़िसा)
देवी बिमला का मंदिर पूरी के जगन्नाथ मंदिर के दाईं ओर और रोहिणी कुंड के पीछे है. यह मंदिर सभी शक्तिपीठों में से एक माने जाने वाले pada khand के रूप में प्रसिद्ध है. इसी स्थान पर देवी सती के चरण (पाद) गिरे थे. स्थानीय लोगों इसे देवी बिमला देवी शक्ति का अहिंसक मानते हैं. भगवान भैरव को उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ के रूप में जाना जाता है. भक्तो में ऐसी मान्यता है कि भगवान को दिया गया. कोई भी प्रसाद तब तक अधूरा होता है जब तक कि उसे माँ बिमला को नहीं चढ़ाया जाता.
तारा तारिणी (ब्रह्मपुर, ओड़िसा)
इसे भारत में सबसे प्रमुख और सबसे पुराने शक्ति-पीठों और तंत्र पीठों में से एक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यहाँ माता सती के स्तन गिरे थे. तारातारिणी शक्ति पीठ उड़ीसा में बरहामपुर के पास कुमार पहाड़ियों पर रुशिकुल्या नदी के तट पर स्थित है. लोग शक्तिशाली आदि शक्ति पीठ की जुड़वां देवी यानी देवी तारा और देवी तारिणी की पूजा करते हैं. क्योंकि यहीं पर देवी सती के स्तन पृथ्वी पर गिरे थे.
कामख्या मंदिर (गुहावटी, असम)
गुहावटी असम में ब्रह्मपुत्र नदी के समीप स्थित यह प्राचीन आदि शक्ति पीठ है. यहाँ माता सती का प्रजनन अंग यानी योनि का भाग गिरा था. यहाँ लोगो द्वारा माता के योनि की पूजा की जाती है. यह एक रहस्यमयी मंदिर है. अम्बुबाची मेला यहाँ का प्रसिद्ध मेला है. ऐसा माना जाता है कि माता सती के माहवारी के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी लाल रंग की हो जाती है.
कालीघाट काली मंदिर (पश्चिम बंगाल)
यह शक्ति पीठ प. बंगाल के कलकत्ता में स्थित है. यहाँ माँ काली की पूजा की जती है. ऐसा माना जाता है कि यहाँ देवी माँ के मुख गिरा था. इस कारण इसे मुख खंड कहा जाता है.
Bharat भारत शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर (गुवाहाटी, असम) :-
देवी शक्ति की स्त्री शक्ति और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर कामरूप देवी को समर्पित है, जो देवी शक्ति का एक रूप है जो सृष्टि का प्रतीक है। यह 51 शक्तिपीठों में से सबसे पुराने में से एक है और इसे सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहाँ भगवान शिव के विनाश के नृत्य के दौरान देवी सती की योनि (गर्भ) गिरी थी।
कामाख्या मंदिर अपने वार्षिक अंबुबाची मेले के लिए प्रसिद्ध है, जो दुनिया के सभी कोनों से भक्तों को आकर्षित करता है। यह त्योहार देवी के मासिक धर्म का जश्न मनाता है, जो पृथ्वी की उर्वरता का प्रतीक है। मंदिर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं है, इसके बजाय, इसमें एक योनि के आकार में एक चट्टान की दरार है, जिसकी पूजा भक्तों द्वारा की जाती है। कामाख्या शक्ति पीठ तंत्र विद्या के लिए भी बहुत लोकप्रिय है।
Bharat भारत शक्तिपीठ मंगलगौरी मंदिर (Gaya, Bihar)
बिहार के मध्य में स्थित, गया जिले में स्थित शक्तिपीठ देवी सर्वमंगला देवी को समर्पित है, जिन्हें मंगलगौरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर देवी शक्ति के पोषण पहलू का जश्न मनाता है, जो दिव्य स्त्री के पोषण प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जाता है कि यहाँ देवी सती का स्तन गिरा था।
गया शक्ति पीठ को विशेष रूप से पिंड दान के संस्कारों में इसके महत्व के लिए सम्मानित किया जाता है, जो पूर्वजों के मोक्ष के लिए किया जाने वाला एक अनुष्ठान है। भक्तों का मानना है कि इस पवित्र स्थल पर की जाने वाली प्रार्थनाएं दिवंगत आत्माओं के लिए शाश्वत शांति और मोक्ष सुनिश्चित करती हैं।
Bharat भारत शक्तिपीठ महाकाली मंदिर (Ujjain, Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाली मंदिर को सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो महाकाली देवी को समर्पित है, जो देवी की विनाशकारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। यह मंदिर उस स्थान को चिह्नित करता है जहाँ माना जाता है कि सती का ऊपरी होंठ गिरा था। देवी महाकाली की पूजा यहाँ उनके सबसे उग्र रूप में की जाती है, जो बुराई के विनाश और धार्मिकता की सुरक्षा का प्रतीक है।
उज्जैन, हिंदू धर्म के सात पवित्र शहरों (सप्त पुरी) में से एक होने के कारण, महाकाली मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति के एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थित है। खोपड़ी की माला से अलंकृत मंदिर की देवी, माँ काली, निर्माण, संरक्षण और विनाश के चक्र का उदाहरण है।
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