Hanuman हनुमान जी के 5 नाम व उनसे जुड़ी कथा

Hanuman हनुमान जी के 5 नाम व उनसे जुड़ी कथा :-

क्या आप जानते हैं भगवान हनुमान के बचपन का नाम मारुति था जो उनका असली नाम था किन्तु आज हम उन्हें कई अन्य नामों से जानते हैं। भगवान हनुमान के जितने भी नाम पड़े, उनके पीछे कोई ना कोई रोचक कथा जुड़ी हुई है जिसमे से कुछ के बारे में आप जानते होंगे व कुछ के बारे में नहीं। इसलिये आज हम हनुमान जी के कुछ मुख्य नामों से जुड़ी कथा आपके साथ साँझा करेंगे ताकि आपका ज्ञानवर्धन हो सके।

Hanuman हनुमान जी के 5 नाम व उनसे जुड़ी कथा :-

Hanuman हनुमान जी के पहला नाम ( पवनपुत्र/ वायुपुत्र ) :-

हनुमान जी की माता का नाम अंजलि था जो अपने पिछले जन्म में अंजना नाम की एक देव कन्या थी। अंजना को एक ऋषि से श्राप मिला था कि वह जिस किसी से भी प्रेम करेगी उसका मुख बंदर समान हो जायेगा। अगले जन्म में माता अंजना ने पृथ्वी पर अंजलि के रूप में जन्म लिया और केसरी नामक एक वानर से विवाह रचाया।

माता अंजलि भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी कोख से जन्म लेने का वरदान दिया। जब राजा दसरथ पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कर रहे थे तब ऋषि ने दशरथ की तीनो पत्नियों को खीर खाने को दी। माता कौसालिया की खीर की प्याली में अचानक एक चील आई और थोड़ी सी खीर अपने पंजे में लेकर उड़ गयी।

माता अंजलि एक जगह पर भगवान शिव की आराधना कर रही थी तब शिवजी ने वायुदेव को चील के पंजे से वह खीर माता अंजलि के हाथों में गिराने का आदेश दिया। वायुदेव ने ठीक वैसा ही किया और माता अंजलि ने वह खीर भगवान शिव का आशीर्वाद समझकर खा ली जिसके बाद उन्होंने मारुति को जन्म दिया। इसलिये उन्हें पवनपुत्र या वायुपुत्र के नाम से भी जाना जाता है।

Hanuman जी का दूसरा नाम ( हनुमान ) :-

जैसा कि हमने आपको बताया कि हनुमान जी का असली नाम मारुति था तो अब सोचने वाली बात यह है कि उनका नाम हनुमान कैसे पड़ा? दरअसल हनुमान संस्कृत भाषा का शब्द है जो दो शब्दों के मेल से बना है: हनु अर्थात जबड़ा व मान अर्थात विकृत। इस तरह हनुमान का अर्थ हुआ विकृत या मुड़े हुए जबड़े वाला। किन्तु क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी का जबड़ा जन्म के समय एक दम सही था तो उनका जबड़ा टेढ़ा कैसे हुआ?

जब भगवान हनुमान छोटे थे तब उन्होंने आकाश में सूर्य को देखा जिसे उन्होंने एक फल समझा। इसी कारण वे आकाश में उड़े और सूर्य को निगल लिया जिस कारण पूरे विश्व में अंधकार छा गया। इससे क्रोधित होकर इंद्र देव ने अपने वज्र से हनुमान जी पर प्रहार किया जो उनके जबड़े पर लगा और वे मुर्छित होकर पृथ्वी पर गिर पड़े। तब से उनका जबड़ा थोड़ा टेढ़ा हो गया और उनका नाम हनुमान पड़ा।

Hanuman जी का तीसरा नाम ( बजरंगबली ) :-

संस्कृत भाषा में बजरंग का अर्थ कुमकुम या सिंदूर से होता है। इसके पीछे भी एक रोचक कथा है। आप सभी को यह भलीभांति ज्ञात है कि भगवान राम के सबसे बड़े भक्त हनुमान थे और हनुमान जी को भी प्रभु राम से अत्यधिक लगाव था।

एक दिन हनुमान जी को माता सीता  के सिंदूर लगाने की बात पता चली तो वे उत्सुकता वश इसके पीछे का कारण पूछ बैठे। तो सीता माता ने उन्हें बताया कि वह सिंदूर श्री राम  के लिए लगाती है जिससे वे स्वस्थ रहते हैं और दीर्घायु बनते हैं। इतना सुनते ही हनुमान जी ने सोचा कि यदि माता सीता के केवल इतना सा सिंदूर लगाने से इतना प्रभाव पड़ सकता है तो मुझसे क्यों नही।

इसके बाद उन्होंने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप लगा लिया तब से उनका नाम बजरंग बली पड़ गया। इसलिये आज भी आपको हनुमान जी के मंदिर में सिंदूर चढ़ाने की परंपरा मिलेगी।

Hanuman जी का चौथा नाम ( संकट मोचन हनुमान ) :-

चाहे हनुमान चालीसा हो या रामायण, सभी में हनुमान जी को संकट मोचन कहा गया है। अर्थात हनुमान जी ऐसे महापुरुष थे जो अपने चाहने वालों के संकट मिटाते थे। चाहे वह माता सीता को ढूंढना  हो या लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी  लाना। जब-जब भगवान राम पर कोई विपदा आई तब-तब उन्होंने अपने परम भक्त हनुमान को याद किया और हनुमान ने उनका हर संकट दूर भी किया।

 

हनुमान की निष्ठाभाव से की गयी भक्ति से प्रसन्न होकर माता सीता ने उन्हें अजय अमर होने का आशीर्वाद दिया था। अर्थात हनुमान जी ही भगवान के रूप में ऐसे जीवित मनुष्य हैं जिन्होंने अमर होने का वरदान प्राप्त किया। लोगों का आज भी यह प्रबल रूप से मानना है कि भगवान हनुमान आज भी किसी ना किसी रूप में इस पृथ्वी पर हैं और उन्हें अगर सच्चे मन से याद किया जाये तो वे अपने भक्तों के हर संकट हरते हैं।

Hanuman जी का पांचवा नाम ( पंचमुखी हनुमान ) :-

पंचमुखी भी एक संस्कृत भाषा का शब्द है जो दो शब्दों को जोड़ने से बना है। इसमें पंच का अर्थ संख्या पांच से है व मुखी का अर्थ मुहं से है अर्थात पांच मुहं वाले हनुमान।

एक बार रावण के भाई अहिरावण या महिरावण जो अपनी मायावी शक्तिओं के लिए प्रसिद्ध था, उसने भगवान राम व लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था और उन्हें पाताल लोक ले गया था। वह वहां अपनी देवी महामाया के सामने दोनों की बलि चढ़ाने वाला था किन्तु हनुमान वहां उन्हें बचाने आ गए।

वहां उन्होंने देखा कि पांच दिशाओं में पांच दीपक जल रहे हैं जिन्हें एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण का वध संभव था। इसलिये हनुमान ने पांच मुख वाले हनुमान का रूप धरा जिसमे उन्होंने वराह, गरुड़, नरसिंह व हयग्रीव देवताओं के मुख धरे और अहिरावण का वध किया।

|| ♥ धन्यवाद् ♥ ||

 


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